बवासीर क्या होता है तथा इसके उपचार क्या है।

नमस्कार दोस्तों आप सभी का हमारे ब्लाग पर स्वागत है। आज हम आप सभी को बताने वाले है कि बवासीर क्या होता है तथा इसके उपचार क्या है।

बवासीर(Piles)-

दोस्तो बवासीर को पाइल्स भी कहा जाता है। इसमे गुदा व मलाशय मे मौजूद नसो मे सूजन व तनाव आ जाता है। यह गुदा व मलाशय मे मौजूद नसो का वैरिकोज वेन्स रोग होता है। बवासीर मलाशय के अंदरूनी हिस्से या गुदा के बाहरी हिस्से मे हो सकता है। बवासीर के कई कारण हो सकते है। यह मलत्याग के दौरान अधिक जोर लगाने के कारण भी हो सकता है। या गर्भाभास्था के दौरान गुदा की नसो मे दबाव बढने के कारण भी हो सकता है।

बवासीर के लक्षण-

  • बवासीर की समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते है।
  • दर्दनाक मलत्याग जिससे मलाशय व गुदा को चोट पहुंच सकती है।
  • मलत्याग के दौरान ब्लीडिंग होना।
  • गुदा से एक बलगम जैसा निकलना।
  • गुदा के पास एक दर्दनाक सूजन या गाँठ या मस्से का होना।
  • गुदा क्षेत्र मे खुजली जो लगातार या रूक-रूक कर हो सकती है।
बवासीर
बवासीर

बवासीर होने के कारण-

गुदा के चारो तरफ की नशो मे दबाव आने के कारण उनमे खिचाव आ जाता है। जिससे उनमे सूजन आ जाती है या वे उभर जाते है। नसो मे सूजन के कारण ही बवासीर विकसित होता है। मलाशय के निचले हिस्सों मे निम्न कारणो से दबाव बढता है।

  • मलत्याग के दौरान जोर लगाना।
  • लम्बे समय से दस्त व कब्ज होना।
  • टाँयलेट मे अधिक लंबे समय से बैठे रहना।

ऊपर बताये गये सभी कारणो की वजह से गुदा क्षेत्र मे खून के बहाव को प्रभावित करता है। जिसकी वजह से रक्त वाहिकाओं मे दबाव बढने लगता है। इस प्रकार धीरे-धीरे उनका आकार बढने लगता है। इसके अलावा मलत्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने से गुदा की नली मे दबाव बढ जाता है।

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बवासीर से बचाव-

बवासीर से बचाव कैसे करें-

बवासीर से बचाव करने का सबसे अच्छा तरीका है मल को नरम बनाये रखना ताकि उसे बाहर निकलने मे कोई परेशानी न हो। इसके लिये आपको दिनभर मे करीब 25 से 30 ग्राम या उससे अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

टाँयलेट सीट पर ज्यादा देर तक न बैठे-

टाँयलेट सीट पर ज्यादा देर तक बैठने से मल त्याग मे परेशानी बढ जाती है। इसके साथ ही सीट पर बैठने के तरीक़े से भी आपके गुदा के आसपास के हिस्से की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पडता है।

पर्याप्त पानी पिये-

अपने शरीर के हिसाब से आप पर्याप्त पानी पिये। इससे मल नरम होता है और उसको बाहर निकलने मे दिक्कत नही होती है।

मलत्याग की इच्छा को अनदेखा न करें-

यदि आप मल त्याग करने की आदत को अनदेखा करते है। तो यह आदत आपके मल को सूखा और सख्त बना सकती है। मल सख्त होने से इसको बाहर आते समय मुश्किल होती है और गुदा की नशो मे दबाव बढता है। आप मल त्याग की इच्छा न होने पर अनावश्यक जोर न लगाये।

फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें-

आप अपने आहार मे हरी पत्तेदार सब्जियां , साबुत अनाज और सीरियल्स कृत्रिम रूप से पोषक तत्व मिलाये गये खाद्य पदार्थ को शामिल करें।

नियमित कसरत करें-

प्रतिदिन सुबह उठकर आपको कसरत जरूर करिये। प्रतिदिन आपको पैदल चलने की आदत डालिनी चाहिए। रोजाना सिर्फ 20 मिनट पैदल चलने से आपकी मल त्याग करने की प्रक्रिया बेहतर होती है।

बवासीर

बवासीर के नुकसान-

  • यदि बवासीर गुदा के बाहरी हिस्सों मे है तो उससे अत्यधिक खून बहने लगता है।
  • ऊतको मे दबाव बढने से ऊतक नष्ट होने लगते है। जिसके कारण अल्सर बनने लगते है। इस स्थिति को टीशू नेक्रोसिस कहा जाता है।
  • यदि गुदा क्षेत्र मे खून की सप्लाई बंद हो जाय और खून न पहुंच पाये तो इस स्थिति मे गैंगरीन हो जाता है।
  • प्रभावित ऊतक मोटे होने लगते है और उनमे खरोंच जैसे निशान बनने लगते है।
  • गुदा के द्वार पर इन्फेक्शन विकसित हो सकता है।

नोट-यदि आपको बवासीर की समस्या बहुत ज्यादा हो रही हो। तो फिर आप तुरंत किसी अच्छे डाक्टर से मिलकर इसका इलाज जरूर कराये।

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