नमस्कार दोस्तो आप सभी का हमारे ब्लाग पर स्वागत है। आज हम आपको कामरूप की अप्सरा से जुडी एक कहानी सुनाने जा रहे है।
कामरूप गाँव (Kamrup village)-
दोस्तो कामरूप एक गाँव का नाम है। यह गाँव बाग्लादेश मे बंगाल की सीमा के आस पास ही स्थित है। दोस्तो इस गाँव के बारे मे बहुत कम ही लोग अभी जानते है। इस गाँव मे आदमी नही है। इस गाँव मे सिर्फ महिलाएं और पशु पक्षी ही है। इस गाँव की सभी लडकियों की उम्र 15 से लेकर 25 वर्ष के बीच है। इस गाँव की औरतो को कभी बुढापा नही आता है क्योंकि यहाँ की औरते तंत्र मंत्र की प्रकाण्ड विद्वान है। तंत्र मंत्र की वजह से ही इन्हे बुढापा नही आता है।
यहाँ पर कामाख्या माता का मंदिर है जहाँ पर योनि की पूजा होती है। यहाँ की औरते अपने तंत्र मंत्र से मर्दों को तोता बनाकर पिजरे मे रखती है तथा प्रतिदिन इन्हे पिजरे से निकालकर अपने कमरे मे ले जाती है तथा उन्हे वापस उनके असली रूप मे लाकर उनके साथ शारीरिक संबंध बनाती है। उसके बाद पुनः उन्हे तोता बनाकर पिंजरे मे बंद करके बाहर टाँग देती है। कहते है कि जो भी इस गाँव मे गया वो आज तक जिंदा वापस नही आया।
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कामरूप की अप्सरा और वीदेश की कहानी (The story of Kamrup’s Apsara and Videsh)-
वीदेश की अभी नई- नई नौकरी लगी थी उसका ट्राँसफर असम मे हो गया। जब इस बात का पता उसकी पत्नी विमला को लगी तो उसने वीदेश से कहा कि मैने सुना है कि वहाँ की औरते जादूगरनी होती है वो तंत्र मंत्र करके मर्दों को अपने वश मे कर लेती है आप अपना ट्राँसफर रूकवा लीजिए आप वहाँ पर मत जाइये। वीदेश ने कहा कि यह तुम क्या कह रही हो अभी मेरी नई- नई नौकरी लगी है। अभी मै ऐसा नही कर सकता हूँ। उसकी जाँब ही ऐसी थी कि वह दो साल से अधिक एक स्थान पर नही रूक सकता था।
वीदेश ने कहाँ कि तंत्र मंत्र जादू टोना टोटका ये सब कुछ नही होता है। पत्नी के बहुत समझाने पर भी वह नही माना। वह बोला कि तुम यहाँ पर माँ के पास रहो। निरधारित दिन पर वह असम के लिये निकल गया। वीदेश नई जगह पर गया था वह बहुत खुश था। वीदेश का आफिस गुवाहाटी मे था। आफिस के पास कर्मचारियों के लिये एक कतार से क्वार्टर बना हुआ था उसमे से एक क्वार्टर वीदेश को मिल गया। वहाँ पर कुछ ही दूरी पर एक ढाबा था जहाँ पर चाय और नाश्ते का प्रबंध हो जाता था। उसका पहला दिन आफिस मे स्टाफ के साथ मिलने तथा वहाँ का कामकाज देखने मे ही चला गया। रात मे वह खाने पीने के बाद क्वार्टर मे गुजारे।
वीदेश मन ही मन कह रहा था कि विमला बेकार ही परेशान हो रही थी। यहाँ सबकुछ तो सही है क्या दिक्कत है। वहाँ पर जल्दी ही उसका मन लग गया वीदेश को साफ सफाई के लिये एक चपरासी मिला था। वह प्रतिदिन उन्हे चाय बनाकर पिलाता वहाँ की चाय पीकर वह तरोताजा हो जाता। वीदेश पूछा कि काका आपके हाथो मे जादू है। चपरासी बोला कि जादू हमारे हाथो मे नही यहाँ की चाय की पत्तियों मे है जो कि थोडी ही दूर से तोडकर लाता हूँ। वीदेश बोला कहाँ पर है ये पत्तियाँ मुझे भी देखना है। इतना कहकर वह वीदेश को उस स्थान पर ले गया वहाँ पर कुछ औरते पत्तियों को तोडकर टोकरी मे डाल रही थी। वहाँ के लोगो की भाषा अलग ही थी जो कि वीदेश को समझ मे नही आ रही थी वह बात- बात पर हँस रही थी।
वही थोडी दी दूर पर एक गाँव था जहाँ पर बहुत से झोपडी थी। वीदेश ने पूछा कि काका क्या यह गाँव है वह बोला कि हाँ बाबू यह गाँव है लेकिन आप यहाँ पर कभी मत जाना क्योंकि ये लोग हमारे समाज के नही है। ये लोग किसी से कोई मतलब ही नही रखते। वो दोनो अपने क्वार्टर पर वापस आ गये। चपरासी ने वीदेश से कहाँ कि बाबू आप कभी भी अनजान जगह तथा अनजान लोगो के बीच मे मत जाना। वीदेश ने कहा कि ठीक है काका नही जाऊंगा।
वीदेश मन का बहुत चंचल था उसका मन उस बस्ती मे जाने के लिये बहुत करता था। एक दिन सुबह- सुबह वह टहलते हुये उसी बस्ती मे जा पहुंचा जिधर जाने के लिये सोमू काका ( चपरासी) ने मना किया था। वीदेश बस्ती मे थोडी दूर पर गया था कि अचानक एक सुन्दर युवती निकली वह काले घाघरे और पीले कलर की चोली पहने हुई थी। वह बडी देर तक वीदेश को देखती रही। वह वीदेश से अपनी भाषा मे बोल रही थी लेकिन वीदेश को कुछ समझ मे नही आ रहा था।
उसे उस समय सिर्फ सोमू काका की चेतावनी याद आ रही थी। थोडी देर मे वह अपनी झोपडी मे वापस चली गई। उसके बाद वीदेश पीछे की ओर लौट पडा अचानक उसके सामने एक झोपडी से एक सुन्दर युवती आई उसने लाल घाघरे और नीली चोली पहन रखी थी। वह वीदेश का हाथ पकडकर वीदेश से कुछ अपनी भाषा मे बोल रही थी वीदेश को कुछ समझ मे नही आ रहा था। इतने मे पहली वाली लडकी जो कि वीदेश से मिली थी वह झोपडी से बाहर आ गई। दोनो युवतियां आपस मे बहस कर रही थी।
दोनो युवतियां वीदेश को साथ लेकर एक पहाडी पर गई पहाडी के नीचे 60 फुट गहरी खाई थी। नीचे एक मैदान जैसा दिखाई दे रहा था। दोनो युवतियों ने वीदेश को वही खडे रहने का संकेत किया। उसके बाद दोनो युवतियों ने अपने कपडे मे से एक- एक मुट्ठी सरसो का दाना निकाला और अपने सिर के चारो तरफ घुमाकर नीचे खाई मे फेक दिया। अचानक नीचे दो शेर उत्पन्न हुये दोनो सिंह उत्यंत गर्जना करते हुये क्रोध से भरे हुये थे।
दोनो सिंह भयंकर रूप से लड रहे थे। थोडी देर बाद पहली युवती वाले सिंह ने दूसरी युवती वाले सिंह को परास्त कर दिया। उसके बाद वह सिंह ऊपर लाल- लाल आँखे किये देख रहा था। जिस युवती का सिंह परास्त हो गया वह युवती उस खाई मे कूद गई। थोडी ही देर मे सिंह ने उस युवती को चीर फाड डाले। उसके बाद वह युवती वीदेश को अपनी झोपडी मे लेकर आई। वह झोपडी अंदर से विलासपूर्ण ढंग से सजाई हुई थी। वीदेश को कुछ समझ मे नही आ रहा था। उसने वीदेश को स्वादिष्ट खाना दिया। वह युवती पत्नी की तरह वीदेश की देखभाल करने लगी। उस युवती से वीदेश ने अपनी नौकरी के बारे मे बताया। उस युवती ने नौकरी के समय पर उसे छोड देती। उसके बाद उसे वह युवती प्रतिदिन अपने झोपडी मे लेकर जाती। अचानक वीदेश को विमला का पत्र मिला।
विमला गर्भवती थी वह सात महीने के गर्भ से थी। वीदेश का मन अपनी पत्नी विमला से मिलने के लिये तडक उठा। वीदेश आफिस से एक हफ्ते की छुट्टी पास करवा ली। उसके बाद वह अपने घर लौटने के लिये अपना सामान पैक करने लगा। इतने मे वह युवती वीदेश के पास आई और अपनी भाषा मे पूछने लगी कि कहाँ जा रहे हो। वीदेश ने इशारे मे बोला कि वह अपने माँ के पास एक हफ्ते के लिये जा रहा है। उस युवती की अनुमति लेकर वीदेश अपने पत्नी विमला के पास आ गया। विमला वीदेश को देखकर बहुत खुश हुई। जब विमला को यह पता चला कि वीदेश कामरुप की अप्सरा के चक्कर मे फस गया है वो वह बहुत दुखी हुई। वीदेश ने विमला से कहा कि मैने तुम्हारे बारे मे कुछ नही बताया है नही तो वह तुम्हे भी मार देती।
विमला ने वीदेश से कहा कि मैने तुम्हे वहाँ जाने से मना किया था लेकिन तुम नही माने। वीदेश ने कहा कि एक हफ्ते के लिये आया हूँ। विमला ने कहा कि वह आपसे प्यार तो करती है न वीदेश ने कहा कि हाँ शायद बहुत ज्यादा प्यार वो हमसे करती है। तब विमला वीदेश से बोली कि तब वह आपको नही मारेगी। आप वापस लौट जाइये। वीदेश का मन बिल्कुल भी नही था कि वह वापस असम जाये लेकिन वह मजबूर था। एक हफ्ता बीतने के बाद वीदेश वापस असम आ गया उसने कंपनी मे एक ऐप्लिकेशन डाल दिया कि हर महीने उसकी कमाई का 1/3 हिस्सा उसकी पत्नी के खाते मे भेज दिया जाये। वीदेश का पत्र विमला को हमेशा मिलता था उसी से वह बहुत खुश थी। अब विमला वीदेश का इंतजार करती रहेगी। शायद अनंत काल वीदेश का इंतजार करती रहेगी।
कामरूप गाँव का रहस्य
FAQ-
प्रश्न- कामरूप गाँव कहाँ पर स्थित है?
उत्तर- यह असम के बाग्लादेश मे बंगाल की सीमा के आस पास ही स्थित है।
प्रश्न- कामरूप की अप्सरा किसे कहते है?
उत्तर- यहाँ की औरते ही कामरूप की अप्सरा होती है यह देखने मे बहुत ज्यादा सुंदर होती है। यहाँ की औरते तंत्र मंत्र की प्रकाण्ड विद्वान है। अपने तंत्र मंत्र के बल पर ये खुद को जवान बनाये रखती है इन्हे कभी बुढापा नही आता है।
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