जगन्नाथ मंदिर के अनसुलझे रहस्य।

नमस्कार दोस्तो आप सभी का हमारे ब्लाग पर स्वागत है। आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर के अनसुलझे रहस्य के बारे मे बताने वाले है।

जगन्नाथपुरी मंदिर-

दोस्तो भगवान जगन्नाथ का मंदिर उडीसा राज्य के पुरी जिले मे स्थित है। इस मंदिर मे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित है। यह मंदिर अपने आप मे ही एक रहस्य है। समुद्र के किनारे यह मंदिर बसा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कार्य कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग के द्वारा शुरू करवाया गया था। मंदिर के जगमोहन और विमान भाग इनके शासनकाल 1078-1148 के दौरान बने थे। उसके बाद उडीसा राज्य के शासक अनंग भीम ने सन् 1197 मे मंदिर को वर्तमान रूप दिया था। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण का ही है जो कि भगवान जगन्नाथ को समर्पित है।

जगन्नाथ मंदिर के रहस्य-

दोस्तो इस मंदिर मे बहुत सारे रहस्य छिपे है जिन्हे आज तक कोई सुलझा नही पाया। हम आपको जगन्नाथ मंदिर के रहस्यों को बताने जा रहे है।

  • दोस्तो भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर मे लकडी की तीन मूर्तियां है। जिनके नाम भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा है। ये मूर्तियां हर 12 वर्ष मे एक बार बदली जाती है। जब यह मूर्तियां बदली जाती है तो पूरे शहर की लाइट काट दी जाती है चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है। मंदिर के चारो तरफ CRPF पुलिस को तैनात कर दिया जाता है। इस दौरान मंदिर मे अंदर जाने की अनुमति किसी को भी नही होती है।
  • सिर्फ मंदिर का पुजारी ही मंदिर मे जा सकता है। पुजारी के हाथ मे दसताने तथा आँख मे पट्टी बाँध दी जाती है। मंदिर की मूर्तियो को रात के समय बदला जाता है। भगवान जगन्नाथ के मूर्ति के अंदर ब्रम्ह पदार्थ को निकालकर नयी मूर्ति के अंदर डाल दिया जाता है। उसके बाद पुराने मूर्तियों को दफना दिया जाता है तथा नये मूर्तियों को स्थापित किया जाता है।

  • प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। इस रथ को पुरी के राजा खीचते है उस दौरान सोने के झाडू से साफ सफाई की जाती है।
  • जगन्नाथ मंदिर समुद्र के किनारे स्थापित है मंदिर के सिंह द्वार पर आप जैसे ही अपना कदम रखेंगे आपको समुद्र के लहरो की आवाज सुनाई देना बंद हो जायेगी। फिर जैसे ही आप अपना पैर पीछे करते है आपको वापस समुद्र की आवाज़ सुनाई देने लगेगी।
  • जब श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार हो रहा था। अंतिम संस्कार के बाद भगवान श्री कृष्ण का पूरा शरीर जल गया लेकिन उनका हृदय नही जला वही हृदय भगवान जगन्नाथ के मूर्ति के अंदर लगाया जाता है। यह हृदय आज भी धडकता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के पुरानी मूर्ति से हृदय निकालकर नये मूर्ति मे जब लगाया जाता है उस समय यदि उसे किसी ने अपने आँख से देख लिया तो वही उसकी मृत्यु हो जायेगी। भगवान श्री कृष्ण के हृदय को ब्रम्ह पदार्थ भी कहा जाता है।
  • भगवान जगन्नाथ के मंदिर मे बडा सा रसोई घर है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर मे कभी भी प्रसाद न तो कम पडता है और न ही व्यर्थ जाता है। प्रसाद को मिट्टी के बने सात बर्तनों मे बनाया जाता है जिसे चूल्हे के लकडी के ऊपर एक के ऊपर एक बर्तन रखे जाते है। आश्चर्य की बात यह है कि सबसे ऊपर जो सातवाँ मिट्टी का बर्तन है उसका प्रसाद सबसे पहले पककर तैयार होता है उसके बाद छठा फिर पाँचवा, फिर चौथा, फिर तीसरा, फिर दूसरा उसके बाद पहला इसी तरीके से प्रसाद बनता है। मंदिर मे चाहे जितनी भीड हो जाय प्रसाद कभी भी कम नही पडता। मंदिर का गेट शाम को बंद होने से पहले प्रसाद खत्म भी हो जाता है कभी भी प्रसाद व्यर्थ नही जाता है।
  • भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगाया गया झंडा प्रतिदिन बदला जाता है यदि किसी दिन इस मंदिर का झंडा नही बदला गया तो अगले 18 वर्षो तक मंदिर का द्वार बंद हो जायेगा।
  • मंदिर के थोडी दूरी पर चिताओ को भी जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के बाहर चिताओ के जलने की गंध आती है। जैसे ही आप मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगे चिताओं की गंध आना बंद हो जायेगी।
  • इस मंदिर की कभी भी परछाई नही बनती है। चाहे जितना तेज धूप हो जाये कभी भी इस मंदिर की परछाई नही बनेगी।
  • इस मंदिर के ऊपर कभी भी कोई भी पक्षी न उडता है और न ही बैठता है। इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज भी नही उडती है।

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FAQ-

प्रश्न- भगवान जगन्नाथ का मंदिर किस राज्य मे स्थित है?

उत्तर- उडीसा।

प्रश्न- जगन्नाथ मंदिर कहा पर स्थित है?

उत्तर- यह मंदिर उडीसा राज्य के पुरी जिले मे स्थित है।

प्रश्न- पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी कितनी है?

उत्तर- 6 किलोमीटर।

प्रश्न- ब्रम्ह पदार्थ क्या है?

उत्तर- भगवान श्री कृष्ण का हृदय जो कि भगवान जगन्नाथ के लकडी की मूर्ति मे होती है जो कि हमेशा धडकता रहता है। भगवान श्री कृष्ण के हृदय को ब्रम्ह पदार्थ कहा जाता है।

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