आल्हा अमर कैसे हुये।

नमस्कार दोस्तो आप सभी का हमारे ब्लाग पर स्वागत है। आज हम आपको बताने वाले है कि आल्हा अमर कैसे हुये।

आल्हा अमर कैसे हुये-

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है। उस समय मैहर नगर का राजा दुर्जन सिंह थे। उनके राज्य मे एक चरवाहा प्रतिदिन अपनी गायो के चराने के लिये जाता था। एक दिन माँ शारदा ने एक सुनहरी गाय का रूप धारण करके उस चरवाहे के पास पहुची। वह सुनहरी गाय भी बाकि गायो के साथ चरती उसके बाद शाम होते ही वह गाय अपने रास्ते चली जाती थी। एक दिन वह चरवाहा सोचने लगा कि यह सुनहरी रंग की गाय किसकी है आज मै इसके मालिक से जरूर मिलूँगा।

शाम होते ही वह सुनहरी गाय अपने रास्ते जाने लगी उसके पीछे-पीछे वह चरवाहा भी चलने लगा। वह सुनहरी रंग की गाय एक गुफा मे चली गई। गुफा मे जाते ही उस गुफा का दरवाजा बंद हो गया। चरवाहा वही गुफा के बगल मे बैठ गया वह बोला कि आज मै अपना मेहनताना लिये बिना नही जाऊंगा चाहे जितनी भी रात हो जाये। सूर्यास्त हो चुका था धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा था। माँ शारदा ने एक बूढी औरत का रूपधारण करके उस चरवाहे के पास आई और बोली कि बेटा तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो क्या तुम्हे जंगली जानवरों का डर नही लग रहा है। चरवाहा बोला कि माता मै आपकी सुनहरी गाय को प्रतिदिन चराता हूँ यदि मुझे कुछ मेहनताना मिल जाय तो अच्छा होगा क्योंकि इसी से मेरा पेट भरता है। बूढी औरत बोली कि ठीक है बेटा तुम यह पोटली रखो यह तुम्हारा मेहनताना है।

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चरवाहा बहुत खुश हुआ और अपने घर वापस आ गया। घर वापस आकर जब उस पोटली को खोला तो उसमे पैसे नही हीरे मोती थे। इतना सारा हीरा मोती देखकर वह चरवाहा डर गया। वह राजा के पास गया और राजा को सारी आपबीती सुना डाली। रात्रि मे सोते समय माँ शारदा ने राजा को स्वप्न मे दर्शन दिया और कहा कि हे राजा उस चरवाहे की बात सत्य है। तुम हमारे भक्तो के लिये मढिया बनवा दो मै तुम्हारे राज्य की हमेशा रक्षा करूँगी। सुबह राजा अपने कुछ सैनिकों तथा उस चरवाहे को लेकर उस स्थान पर गया जहाँ पर उस चरवाहे को वह बूढी औरत मिली थी। राजा दुर्जन सिंह ने माँ शारदा का पवित्र भव्य मंदिर बनवाया तथा भक्तो को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसीलिए पक्की सडके भी बनवाई तथा उस मंदिर का शिल्यानस किया।

आल्हा ऊदल महोबा के रहने वाले थे। जो कि माँ शारदा के बहुत बडे भक्त थे। एक बार माँ शारदा ने आल्हा को स्वप्न मे दर्शन दिया और कहा कि आल्हा तुम अपने राज्य मे ठिढोरा पिटवा दो कि जो कोई भी अपना मस्तक काटकर मुझे चढायेगा मै उसे अमर बना दूँगी। सुबह उठते ही आल्हा ने अपने राज्य मे माँ शारदा के स्वप्न की बात सभी से कही और अपने राज्य मे ठिढोरा पिटवा दिया कि जो कोई अपना मस्तक काटकर माँ शारदा को चढायेगा माँ उसे अमर बना देंगी। सभी ने बहुत कोशिश की लेकिन सब नाकामयाब रहे। कोई भी अपना मस्तक नही काट पाया। आल्हा अपने घोडे पर सवार होकर मैहर आ गया और वही जंगल मे बैठकर माँ शारदा की तपस्या करने लगा। आल्हा ने 12 वर्षो तक माँ शारदा की तपस्या की लेकिन माता ने दर्शन नही दिया।

फिर आल्हा ने अपनी तलवार उठाई और अपना सिर उस तलवार से काटकर माता को चढा दिया। माँ शारदा आल्हा की इस बली से बहुत प्रसन्न हुई। माँ ने आल्हा को दर्शन दिया तथा उसका सिर जोड दिया। सिर जुडते ही आल्हा उठ खडा हुआ। माँ ने आल्हा को कहा कि आल्हा मै तुम्हें अमरत्व का वरदान दे रही हूँ आज से तुम अमर हो। माँ ने कहा कि तुम्हे जो और वरदान माँगना हो वह तुम माँग सकते है। आल्हा ने कहा कि हे माता यदि आप मुझे वरदान ही देना चाहती है तो हमे यह वरदान दीजिए कि मै हमेशा आपकी ही सेवा करता हूँ और आप दोबारा ऐसी कठिन परीक्षा किसी भी भक्त से नही लेंगी। माँ शारदा ने आल्हा को तथास्तु कहकर अंर्तध्यान हो गयी। तब से लेकर आज तक आल्हा अमर है।

सबसे पहले आल्हा करते है माँ की आरती-

दोस्तो यदि लोगो की माने तो आज भी रात 8 बजे मंदिर की आरती के बाद साफ सफाई होती है। जब सुबह मंदिर खोला जाता है तो मंदिर मे माँ की आरती और पूजा किये जाने के सुबूत मिलते है। माँ शारदा का मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले मे मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर माँ शारदा का भव्य मंदिर है। करीब 1063 सीढियां चढने के बाद माता के दर्शन होते है। पूरे भारत मे सतना का मैहर मंदिर माँ शारदा का अकेला मंदिर है। मान्यता के अनुसार यहाँ पर सबसे पहले आदि गुरू शंकराचार्य ने 9वी 10वी शताब्दी मे पूजा अर्चना की थी।माँ शारदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 559 मे की गई थी।

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FAQ-

प्रश्न- माँ शारदा का मंदिर कहा पर स्थित है?

उत्तर- मध्यप्रदेश के सतना जिले मे मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर माँ शारदा का भव्य मंदिर है।

प्रश्न- आल्हा ऊदल की अमरकथा क्या है?

उत्तर- इसके लिये आप पूरा पोस्ट पढिये।

प्रश्न- माँ शारदा के मंदिर मे पहुचने के लिये कितनी सीढियां चढनी पडती है?

उत्तर- 1063 सीढियां।

प्रश्न- आल्हा के घोडे का नाम क्या था?

उत्तर- संडला।

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