नमस्कार दोस्तो आप सभी का हमारे ब्लाग पर स्वागत है। आज हम आपको गढकुंडार किले के बारे मे बताने जा रहे है।
गढकुंडार का किला(Garhkundar Fort)–
यह एक रहस्यमयी किला है। जो कि उत्तर प्रदेश के झाँसी से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 11वी शदी मे बना यह किला पाँच मंजिल का है। जिसमे से तीन मंजिल ऊपर है तथा शेष दो मंजिल जमीन के नीचे है। हालांकि यह किला किसने बनवाया इसके बारे मे अभी कोई जानकारी नही है। लेकिन बताया जाता है कि यह किला 1500 से 2000 साल पुराना है।
यहाँ चंदेलों, बुंदेलो और खंगार जैसे कई शासको का शासन रहा। यह किला सुरक्षा की दृष्टि से बनवाया गया एक ऐसा बेजोड नमूना है जो लोगो को भ्रमित कर देता है। यह किला इस तरह से बनवाया गया है कि यह चार पाँच किलोमीटर दूर से तो दिखता है लेकिन लेकिन नजदीक आते-आते यह दिखना बंद हो जाता है। जिस रास्ते से यह किला दूर से दिखता है अगर उसी रास्ते से आप आयेंगे तो रास्ता किले की बजाय कही और चला जाता है जब कि किले के लिये दूसरा रास्ता है।
इस किले मे गायब हो गयी पूरी की पूरी बारात-
गढकुंडार किले की गिनती भारत के सबसे रहस्यमयी किले मे की जाती है। आसपास के लोग बताते है कि काफी समय पहले यहाँ पास के ही गाँव मे एक बारात आई थी। बारात यहाँ किले मे घूमने के लिये आई। घूमते-घूमते वो लोग बेसमेंट मे चले गये जिसके बाद वो सभी रहस्यमयी तरीके से गायब हो गये। बारात मे 50 से 60 लोग थे जिनका आज तक पता नही लग सका कि वो लोग कहाँ चले गये। इसके बाद भी कुछ इस तरह की घटनाएं हुई थी जिसके बाद किले के नीचे जाने वाले सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया।
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भूलभुलैया की तरह है यह किला-
गढकुंडार का किला भूलभुलैया की तरह है। यदि आपको जानकारी नही है तो इस किले मे अधिक अंदर जाने पर कोई भी दिशा भूल सकता है। किले के अंदर काफी अंधेरा रहता है जिससे यह किला काफी डरावना दिखता है। कहा जाता है कि इस किले मे एक खजाने का रहस्य भी छुपा है। जिसे तलाशने के चक्कर मे कई लोगो की जान चली गई है। इतिहास के जानकारो की माने तो यहाँ के राजाओं के पास सोने हीरे जवाहरातो की कोई कमी नही थी। यहाँ के खजानो को ढूंढने की कोशिश कई लोगो ने की लेकिन वो नाकाम रहे।
उल्लू के आकार का दिखता है यह किला-
यह किला उल्लू के आकार का दिखता है। यह किला न केवल बेजोड शिल्पकला का नमूना है बल्कि उस खूनी प्रणय गाथा के अंत का गवाह भी है जो विश्वासघात की नींव पर रची गयी थी। गढकुंडार का प्राचीन नाम गढ कुरार है। घने जंगलो और पहाडो के बीच बना यह किला दूर से तो दिखाई देता है लेकिन जैसे-जैसे इसके नजदीक पहुचते है ये दिखाई देना बंद हो जाता है। रात होते ही यहाँ लोगो मे दहशत होने लगती है। चमगादड़ों की आवाजे गूजने लगती है। शाम होते लोग किला छोडकर पहाड के नीचे आ जाते है।
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